मुंबई, 05 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली के राउ IAS कोचिंग के बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी में पानी भरने से 27 जुलाई को तीन स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्वल भुइयां की बेंच ने दिल्ली के कोचिंग सेंटर्स को डेथ चैम्बर बताया। बेंच ने कहा, हम कोचिंग सेटर्स की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कोचिंग सेंटर्स बच्चों की जिंदगी के साथ खेल रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर पूछा कि कोचिंग सेंटर्स में क्या सेफ्टी के नियम लागू किए गए हैं? कोर्ट ने कहा कि हमारा ये सोचना है कि अगर कोचिंग सेंटर सेफ्टी नॉर्म को पूरा नहीं करते तो इनको ऑनलाइन मोड में पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए। फिलहाल हम ये नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और MCD को नोटिस जारी कर सुरक्षा की जानकारी मांगी है। बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने पर कोचिंग सेंटर फेडरेशन के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। हाईकोर्ट ने मुखर्जी नगर कोचिंग हादसे के बाद जिन कोचिंग सेंटर के पास फायर NOC नहीं है, उन्हें बंद करने का आदेश दिया था। कोचिंग फेडरेशन ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट से पहले दिल्ली कोचिंग हादसे पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने 2 अगस्त को मामले की जांच CBI को सौंप दी। जांच की निगरानी सेंट्रल विजिलेंस कमेटी के अधिकारी करेंगे। कोर्ट ने कहा, 'लोगों को जांच पर शक न हो, साथ ही सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार में शामिल होने से जांच प्रभावित न हो, इसलिए यह फैसला लिया गया है। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आप सड़क पर जा रहे किसी व्यक्ति को कैसे अरेस्ट कर सकते हैं? आपको माफी मांगनी चाहिए। पुलिस का सम्मान तब होता है, जब आप अपराधी को गिरफ्तार करें, निर्दोष को नहीं। अगर आप किसी निर्दोष (मनुज कथूरिया) को गिरफ्तार करते हैं और दोषी को छोड़ देते हैं तो यह दुख की बात है। अच्छा हुआ, आपने पानी का चालान नहीं काटा। कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने माफी मांगी। दिल्ली के राउ IAS कोचिंग के बेसमेंट में स्थित लाइब्रेरी में पानी भरने से 27 जुलाई को तीन स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी। पुलिस ने घटना वाले दिन कोचिंग के बाहर SUV लेकर निकलने वाले मनुज कथूरिया को अरेस्ट किया था। आरोप था कि गाड़ी निकलने से पानी का प्रेशर बढ़ा और कोचिंग के अंदर पानी घुसा। हालांकि, कार चला रहे मनुज को एक अगस्त को जमानत मिल गई थी।
कोर्ट ने कहा, बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सिविल एजेंसियों के पास कोई पैसा नहीं है। दिल्ली में भौतिक बुनियादी ढांचा 75 साल पहले बना था, जो नाकाफी है। इसका रखरखाव भी ठीक से नहीं किया गया। हाल ही में हुए हादसों से पता चलता है कि अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया जाता। उनकी उपेक्षा की जाती है। दिल्ली में कई अधिकारी केवल जिम्मेदारी दूसरे पर डाल रहे हैं। MCD कमिश्नर 5 करोड़ रुपए से ज्यादा का कोई भी ठेका नहीं दे सकता, क्योंकि कोई स्थायी समिति नहीं है। MCD कमिश्नर सुनिश्चित करें कि नालियां जाम न हों। उनकी क्षमता बढ़ाई जाए। अतिक्रमण के साथ-साथ बारिश के पानी को निकालने वाली नालियों पर बने घरों, दुकानों और अवैध निर्माण को तुरंत हटाया जाए। दिल्ली शहर में एक बुनियादी समस्या यह है कि भौतिक, वित्तीय और प्रशासनिक बुनियादी ढांचे सभी पुराने हो चुके हैं और मौजूदा जरूरतों के मुताबिक नहीं हैं। 3 करोड़ से ज़्यादा की आबादी वाली दिल्ली को ज्यादा मजबूत वित्तीय और प्रशासनिक ढांचे की जरूरत है। सब्सिडी योजनाओं के कारण दिल्ली में पलायन और आबादी बढ़ रही है। MCD की वित्तीय सेहत ठीक नहीं है। जीएनसीटीडी के लिए भी किसी नए प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाना आसान नहीं है, क्योंकि महीनों से कैबिनेट की कोई बैठक नहीं हुई है। कोई हैरानी की बात नहीं है कि दिल्ली एक संकट से दूसरे संकट की तरफ जा रही है। एक दिन सूखा पड़ता है तो दूसरे दिन बाढ़ आ जाती है। समय आ गया है कि दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय और भौतिक ढांचे पर पुनर्विचार किया जाए।
Posted On:Monday, August 5, 2024