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फिल्म रिव्यु - Pathaan



कुर्सी की पेटी बांधो या ना बांधो... सीट से उठने नहीं देता पठान का टशन और एक्शन

Posted On:Saturday, June 17, 2023


वायरस से लेकर धारा 370 तक, सूर्यवंशी से लेकर कृष तक, पौराणिक राक्षस से लेकर टाइगर सल्लू तक, हर फॉर्मूला शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की मूवीपठानमें आजमाया गया है. टॉम क्रूज या विन डीजल जैसे हॉलीवुड स्टार की किसी भी एक्शन मूवी में जो स्टंट हो सकता है, वो सिद्धार्थ आनंद ने इसमें इस्तेमाल किया है. दीपिका के हॉट सींस भी हैं, भगवा बिकिनी पर विवाद पहले से हो ही चुका है, बावजूद इसके भी मूवी ना चली तो शाहरुख की खराब किस्मत ही होगी.

फिल्म की कहानी

फिल्म एक स्पाई थ्रिलर है. इसकी कहानी कोई बहुत अलग या नहीं है किसी भी आम स्पाई फिल्म की तरह इसमें भी एक एजेंट पठान है. जिसको देश की सुरक्षा से जुड़ा एक खास मिशन सौंपा जाता है. अब पठान को मिशन सौंपा गया है तो जाहिर वो इसे पूरा भी कर ही लेगा. लेकिन कहानी इस बारे में नहीं है कि वो इसे पूरा कर पाता है या नहीं, कहानी आपको ये बताती है कि वो कैसे इसे पूरा करता है.
इसे पूरा करने के लिए पठान को कई बार अपनी जान दांव पर लगानी पड़ती है, दुश्मनों की धुआंदार पिटाई करनी पड़ती है... और भी बहुत कुछ. फिल्म में दीपिका पादुकोण इस मिशन को पूरा करने में शाहरुख की मदद करते हैं और उनके सामने खड़े हैं जॉन अब्राहम. जॉन एक ऐसे दुश्मन हैं जिन्हें हरा पाना इतना आसान नहीं है, लेकिन देश की खातिर दीपिका-शाहरुख उनसे लोहा लेते दिखते हैं. वैसे तो ये फिल्म पठान-पठान और पठान के बारे में ही है. लेकिन अकेले जॉन अब्राहम, दीपिका और शाहरुख पर भारी पड़ते दिखते हैं.

एक्शन के शौकीन नहीं होंगे निराश

आपने पठान के ट्रेलर में एक सीन देखा होगा, जिसमें शाहरुख कहते हैं, ‘’पार्टी पठान के घर रखोगे, तो पठान तो आएगा ही और पटाखे भी लाएगा’’. तब ये लगा था कि पठान ये कह रहा है कि हिंदुस्तान में कुछ करोगे तो पठान रोकेगा. लेकिन मूवी में हकीकत कुछ और थी, ये डायलॉग अफगानिस्तान में बोला गया है, जहां शाहरुख एक परिवार को अपना मानता है. लेकिन ये दूसरी तरफ इशारा करता है, चूंकि पठानों का घर अफगानिस्तान माना जाता है, और शाहरुख भी अपने को अफगानी पठान मूल का होने का दावा करते आए हैं, हालांकि पेशावर में उनके कजिन खुद को पठान नहीं मानते. सो शाहरुख एक ही मूवी में अलग अलग दर्शक वर्ग को साधने की कोशिश करते दिखते हैं.

लेकिन एक्शन के शौकीन निराश नहीं होंगे, आपने फोन उठाया या ह्वाट्स एप देखा और आपने एक शानदार सीन मिस किया. क्या चलती और जलती ट्रेन, क्या बाइक, क्या कार और क्या एरो सूट, पानी-वर्फ-हवा-पहाड़, ऊंची इमारतें सब कुछ इस्तेमाल किया गया ताकि आप हॉलीवुड स्तर के स्टंट का मजा ले सकें. पुल टूटने पर ट्रेन के गिरने का सीन वाकई में जबरदस्त है, उस पर सलमान खान का तड़का भी. दीपिका पादुकोणे के हॉट सींस तो पहले से चर्चा में हैं ही.
बावजूद इस स्पीड के मूवी के क्राफ्ट में कई सवाल आपके दिमाग में भी उठेंगे कि जब लूथरा (आशुतोष राणा) ने जॉन अब्राहम के मामले में फैसला लिया तो उससे बदला क्यों नहीं लिया? वो वायरस एक बही शहर तक कैसे सीमित रखते?

देखें या नहीं?

जो भी हो, इस मूवी में मेहनत हुई है, अब तक की यशराज की एक्शन फिल्मों में सबसे ज्यादा. इस चक्कर में इमोशन थोडे कम हो गए हैं. शाहरुख भले ही एक स्तर से ऊपर नहीं जा पाए, लेकिन जॉन अब्राहम ने असर छोड़ा है. डिंपल कपाड़िया का रोल भी ठीक ठाक है. कई देशों में फिल्म शूट हुई है, 250 करोड़ रुपया खर्च हुआ है जो दिखता भी है. सिनेमेटोग्राफी की तारीफ करनी होगी, लोकेशंस भी बेहतरीन ढूंढे गए हैं, स्पेशल इफैक्ट्स भी असरदार हैं. ऐसे में मूवी एक बार तो देखी ही जा सकती है और छूट भी जाए तो गम भी ना करें.
 


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