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क्या किसान भी भरते हैं Tax? इसे लेकर क्या हैं नियम, पढ़ें डीटेल

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Posted On:Monday, September 1, 2025

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में खेती-किसानी पर करोड़ों लोग निर्भर हैं। किसानों की आमदनी और टैक्स की बात अक्सर चर्चा में रहती है। आम धारणा है कि खेती से होने वाली आय पूरी तरह टैक्स मुक्त होती है, लेकिन हकीकत थोड़ी जटिल है। सरकार ने कुछ खास नियम बनाए हैं, जिनके तहत कुछ परिस्थितियों में किसानों को टैक्स देना पड़ सकता है।

इनकम टैक्स एक्ट के तहत छूट

भारतीय इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 10(1) के अनुसार, खेती से होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं लगता। इसका मतलब है कि यदि कोई किसान अपनी फसल, अनाज, सब्जियां या अन्य कृषि उत्पाद बेचकर आय प्राप्त करता है, तो उसे इनकम टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं होती। यह छूट इसलिए दी गई है क्योंकि खेती पूरी तरह मौसम और प्राकृतिक परिस्थितियों पर निर्भर होती है, जिसमें सूखा, बाढ़, कीट या अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा रहता है। इसके अलावा, किसानों की आय का स्तर अन्य व्यवसायों की तुलना में आमतौर पर कम होता है, इसलिए टैक्स में छूट दी गई है ताकि उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर हो सके।

किन परिस्थितियों में टैक्स देना पड़ सकता है?

हालांकि खेती की आमदनी पर टैक्स नहीं लगता, लेकिन यदि किसान की आय अन्य स्रोतों से भी हो तो टैक्स देना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए:

  • कृषि भूमि की बिक्री: यदि कोई किसान अपनी खेती की जमीन बेचता है, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लागू हो सकता है। इसका मतलब है कि जमीन के मूल्य में हुई बढ़ोतरी पर टैक्स देना पड़ता है।

  • व्यवसाय के रूप में खेती: यदि खेती को बड़े स्तर पर व्यवसाय की तरह संचालित किया जाता है, जैसे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग या कृषि प्रसंस्करण यूनिट, तो इस आय को व्यवसायिक आय माना जाएगा और उस पर टैक्स लग सकता है।

  • गैर-कृषि आय: किसान यदि किराया, नौकरी, या अन्य व्यवसाय से आय अर्जित करता है और उसकी कुल आय टैक्स स्लैब से ऊपर जाती है, तो उसे इनकम टैक्स रिटर्न भरना आवश्यक होता है।

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) कब भरना चाहिए?

यदि किसी व्यक्ति की आय केवल खेती से हो रही है, तो उसे ITR भरने की जरूरत नहीं होती। लेकिन जैसे ही उसकी आय में गैर-कृषि स्रोत जुड़ते हैं और वह टैक्स योग्य सीमा से ऊपर चली जाती है, तब ITR भरना जरूरी हो जाता है। इसका उद्देश्य सरकार को सही जानकारी देना और टैक्स नियमों का पालन करना है।

खेती को टैक्स में छूट देने के कारण

कृषि को टैक्स से मुक्त रखने के पीछे मुख्य कारण हैं:

  • प्राकृतिक जोखिम: खेती पूरी तरह प्राकृतिक परिस्थितियों पर निर्भर है, जिसमें सूखा, बाढ़, कीट आदि की मार सीधे किसानों की आय को प्रभावित करती है। इसलिए उन्हें आर्थिक राहत देने के लिए टैक्स में छूट दी जाती है।

  • आय का स्तर: किसानों की औसत आय अन्य व्यवसायों की तुलना में कम होती है, जिससे टैक्स लगाने पर उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है।

विशेषज्ञों की राय

वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि खेती से होने वाली आय पर टैक्स न लगना किसानों के लिए राहत है, लेकिन समय-समय पर इस व्यवस्था की समीक्षा जरूरी है। कई विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि छोटे और मझोले किसानों को पूरी तरह टैक्स छूट मिलनी चाहिए, जबकि बड़े किसानों या कॉर्पोरेट फार्मिंग से होने वाली आय पर हल्का टैक्स लगाया जा सकता है ताकि टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष

भारत में किसानों को खेती की आमदनी पर टैक्स छूट मिलना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनकी आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाता है। हालांकि, गैर-कृषि आय पर टैक्स देना आवश्यक है ताकि समग्र रूप से देश की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ बनी रहे। सरकार इस दिशा में निरंतर नियमों की समीक्षा कर रही है ताकि किसानों को भी लाभ पहुंचे और टैक्स प्रणाली भी प्रभावी रहे।


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