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अमेरिका में ब्याज दरें भारत के लिए क्या मायने रखती हैं? RBI उठाएगा कदम, 5 प्वाइंट में जानें

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Posted On:Thursday, September 19, 2024

अमेरिका ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ब्याज दरों में कटौती की है। यूडी रिजर्व फेडरल ने बैठक में सहमति के अनुसार ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती का फैसला किया और इसे लागू किया गया। अब अमेरिका में ब्याज दर 4.75% से 5% के बीच होगी. इससे पहले मार्च 2020 में ब्याज दरें कम की गई थीं. इसके बाद महंगाई पर काबू पाने के लिए अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने मार्च 2022 से जुलाई 2023 के बीच 11 बार ब्याज दरें बढ़ाईं, लेकिन अब अचानक ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेकर चौंका दिया है, लेकिन क्या इस कटौती का भारत पर कोई असर होगा? क्या RBI भी घटाएगा लोन दरें? हालांकि भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी का कहना है कि जब तक महंगाई कम नहीं होगी, कटौती संभव नहीं है, लेकिन अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती का भारत पर क्या असर होगा? आइए जानते हैं इसके बारे में...

विदेशी निवेश
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती का असर भारत में विदेशी निवेश पर पड़ेगा। जब अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची होती हैं, तो निवेशक अमेरिका में निवेश पसंद करते हैं, लेकिन अब जब ब्याज दरें घट जाती हैं, तो अमेरिकी निवेशक भारतीय बाजारों में निवेश पसंद करते हैं। इससे भारत में विदेशी पूंजी बढ़ सकती है। इससे भारत के स्टॉक और बॉन्ड की मांग बढ़ सकती है, जिससे कीमतें बढ़ेंगी और लोग मुनाफा कमाएंगे।

भारतीय रुपये पर असर
अमेरिका में ब्याज दरों में कमी से भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा और इसका असर भारतीय रुपये पर पड़ेगा, क्योंकि जब अमेरिकी व्यापारी भारत में निवेश करने के लिए अपनी मुद्रा को भारतीय मुद्रा में बदलेंगे तो भारतीय मुद्रा की मांग बढ़ जाएगी। इससे भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हो सकता है।

कई सेक्टर को फायदा
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती से आईटी सेक्टर को फायदा हो सकता है, क्योंकि अमेरिका अपना आईटी बजट बढ़ा सकता है। इसके अलावा उपभोक्ता वस्तुओं और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में भी वृद्धि हो सकती है।

रिजर्व बैंक पर असर
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती देखने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक क्या फैसला लेगा? इस पर सबकी निगाहें हैं. अमेरिका में ब्याज दरों के बढ़ने और घटने से भारतीय मौद्रिक नीति प्रभावित हुई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही कह चुके हैं कि ब्याज दरों में कटौती का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि भारत का ध्यान वित्तीय स्थिरता बनाए रखने पर है।

भारतीय निवेशक सावधान रहें
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती से भारतीय निवेशकों को भी सतर्क रहना चाहिए. क्योंकि अमेरिका ने अचानक कटौती का फैसला लेकर यह संकेत दे दिया है कि उनकी अर्थव्यवस्था तेजी से कमजोर होगी, जिसका असर भारत पर जरूर पड़ेगा, क्योंकि 4 साल बाद अचानक कोई फैसला तभी लिया जाता जब कुछ होता।


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