दिल्ली सरकार ने पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों के मालिकों के हित में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी फैसला लिया है। सरकार ने 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के लिए अन्य राज्यों में पुनः पंजीकरण हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने के लिए निर्धारित समय सीमा को समाप्त कर दिया है। यह फैसला लाखों वाहन मालिकों के लिए एक बड़ी राहत है, जिनके वाहन पंजीकरण समाप्त होने के बाद दिल्ली में कबाड़ बन चुके थे।
नियम में बड़ा बदलाव: अब कभी भी मिलेगा NOC
पहले, 'दिल्ली के सार्वजनिक स्थानों पर जीवन समाप्ति वाले वाहनों के संचालन के लिए दिशानिर्देश, 2024' के तहत यह अनिवार्य था कि पुराने वाहन मालिक पंजीकरण समाप्त होने के केवल एक साल के भीतर ही अन्य राज्यों में वाहन के पंजीकरण के लिए दिल्ली से NOC प्राप्त कर सकते थे। इस कठोर समय सीमा के कारण, लाखों वाहन जिनका पंजीकरण समाप्त हुए एक वर्ष से अधिक हो चुका था, वे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित नहीं हो पा रहे थे और राजधानी की सड़कों पर कबाड़ की तरह जमा हो रहे थे।
दिल्ली सरकार के इस नए फैसले के अनुसार, अब वाहन मालिक अपने वाहन का पंजीकरण समाप्त होने के कितने भी समय बाद NOC के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह निर्णय मुख्य रूप से उन मालिकों को लाभान्वित करेगा जो अपने पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के बजाय, उन्हें दिल्ली-एनसीआर से बाहर किसी ऐसे राज्य में बेचना या पंजीकृत कराना चाहते हैं जहां पुराने वाहनों के संचालन की अनुमति है।
नागरिक कल्याण और पर्यावरण संरक्षण पर दोहरा ध्यान
दिल्ली के परिवहन मंत्री पंकज कुमार सिंह ने इस फैसले के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार का दोहरा ध्यान हमेशा नागरिक कल्याण और पर्यावरण संरक्षण पर रहा है। मंत्री ने बताया, "यह देखा गया कि NOC के लिए 1 साल की समय सीमा के कारण कई अनावश्यक समस्याएं आ रही थीं। लाखों वाहन दिल्ली में फंसे हुए थे। इन वाहनों को न तो स्क्रैप किया जा रहा था और न ही हटाया जा रहा था, जिससे शहर में प्रदूषण और भीड़भाड़ की संभावना बढ़ रही थी।"
इस निर्णय से न केवल वाहन मालिकों की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी एक सकारात्मक कदम है। मंत्री सिंह ने विश्वास जताया कि इस कदम से दिल्ली की सड़कों से बड़ी संख्या में पुराने वाहन व्यवस्थित रूप से हट जाएंगे, जो शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने और भीड़भाड़ को कम करने के सरकार के प्रयासों को बल देगा। यह फैसला दर्शाता है कि सरकार पुराने वाहनों के प्रबंधन के लिए व्यावहारिक और नागरिक-हितैषी दृष्टिकोण अपना रही है, जिससे एक ही साथ आर्थिक और पर्यावरणीय उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।