चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ में साइबर ठगों ने एपीके फाइल भेजकर लोगों के मोबाइल हैक करने और उनके खातों से लाखों रुपये उड़ाने की घटनाओं को बढ़ा दिया है। हाल ही में, शहर के एक एसएचओ का सरकारी मोबाइल नंबर भी हैक हो गया। जब इस बारे में उन्हें पता चला, तो उन्होंने अपने निजी नंबर से व्हाट्सएप स्टेट्स पर चेतावनी दी कि उस सरकारी नंबर से आने वाले किसी भी संदेश का जवाब न दें। यह मामला यह दिखाता है कि अगर खुद पुलिसकर्मी साइबर धोखाधड़ी के प्रति जागरूक नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा और जागरूकता और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
साइबर एक्सपर्ट और पूर्व साइबर क्राइम थाना प्रभारी इंस्पेक्टर हरिओम शर्मा ने बताया कि एपीके फाइल में ऐसा कोड होता है जो डाउनलोड होते ही मोबाइल में प्रवेश कर लेता है। इसके जरिए स्पाइवेयर, मालवेयर या अन्य हानिकारक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप ठग लोकेशन, चैट और कॉल तक देख सकते हैं। कभी-कभी मोबाइल पूरी तरह धीमा हो जाता है या सिम करप्ट हो जाती है। अगर मोबाइल नंबर बैंक खाते से लिंक है, तो ठग खाते खाली कर सकते हैं।
प्ले-स्टोर पर भी नकली और हानिकारक एप उपलब्ध रहते हैं। ये एप कुछ समय के लिए दिखाई देते हैं, लेकिन बाद में गायब हो जाते हैं, जबकि ठग पहले से ही मोबाइल का नियंत्रण अपने पास ले चुके होते हैं। साइबर क्राइम थाने में रोजाना ऐसी शिकायतें दर्ज हो रही हैं, लेकिन अधिकांश लोग शिकायत दर्ज नहीं करवाते। पिछले कुछ हफ्तों में कई पुलिसकर्मियों के मोबाइल भी एपीके फाइल के जरिए हैक किए गए, लेकिन अब तक कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया है।
एसएचओ के मोबाइल हैक मामले में उन्होंने बताया कि उन्होंने आरटीओ या चालान संबंधित एप डाउनलोड की थी। इसके बाद उनके सरकारी नंबर से आरटीओ चालान संदेश भेजने शुरू हो गए और ठग उनके संपर्क सूची में मौजूद लोगों को भी एपीके भेजकर फंसाने लगे। चंडीगढ़ साइबर क्राइम थाने ने जनता से अपील की है कि ऐसी घटनाओं की शिकायत दर्ज कराएं ताकि ठगों के सर्वर और भेजी गई एपीके फाइल की तकनीकी जांच की जा सके।