चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: प्रशासन के जनस्वास्थ्य विभाग में वित्तीय और प्रशासनिक गड़बड़ियों का बड़ा पर्दाफाश हुआ है। हाल ही में तैयार ऑडिट रिपोर्ट में विभाग के कार्यों और भुगतानों में कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। यह रिपोर्ट प्रधान लेखा परीक्षक (केंद्र) के अधीन वरिष्ठ लेखा अधिकारी द्वारा तैयार की गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग ने साल 2013-14 के 2.55 लाख रुपये के पुराने पानी के बिलों की वसूली तक नहीं की। इसके अलावा कई मामलों में अनुमोदित राशि से अधिक खर्च किया गया, लेकिन उसका कोई ठोस हिसाब नहीं दिया गया। ऑडिट के दौरान फ्लोर फाउंटेन प्रोजेक्ट में सीपीडब्ल्यूडी मैनुअल के नियमों का उल्लंघन पाया गया। न तो साइट पर लॉगबुक रखी गई और न ही तकनीकी कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की गई। कार्य की तय अवधि 17 जनवरी 2023 से 16 मार्च 2023 थी, लेकिन ठेकेदार ने काम 31 मई 2023 को पूरा किया। रिपोर्ट में हिडन मैटेरियल के परीक्षण में भी लापरवाही सामने आई।
ठेकेदार द्वारा जमा किए गए परीक्षण प्रमाण पत्र कार्य शुरू होने से पहले के पाए गए। साइट पर निरीक्षण रजिस्टर और प्रोग्राम चार्ट मौजूद नहीं थे। साथ ही, कर्मचारियों के ईएसआई और ईपीएफ से जुड़े दस्तावेज भी ऑडिट टीम को नहीं दिखाए गए। इससे ठेकेदार को अनुचित आर्थिक लाभ मिलने की संभावना जताई गई। हालांकि, ऑडिट अधिकारी ने यह भी बताया कि विभागीय अधिकारियों ने जांच में सहयोग किया, जिससे रिपोर्ट समय पर तैयार हो सकी। फिलहाल विभाग से अंतिम कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है। इस रिपोर्ट को आरके गर्ग ने सूचना के अधिकार के तहत हासिल किया है।
ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई अन्य खामियां
विभाग ने कबाड़ (स्क्रैप) की नीलामी नहीं की।
तकनीकी स्टाफ की अनुपस्थिति के बावजूद ठेकेदार को भुगतान किया गया।
कार्य विश्लेषण रिपोर्ट अधूरी रही।
कई वित्तीय वर्षों के वाउचर और रिकॉर्ड ऑडिट टीम को नहीं दिखाए गए।