चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने 2025-26 के लिए शराब की दुकानों की टेंडर प्रक्रिया पर लंबित याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस शील नागु ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जहां लोग खाने को रोटी नहीं पा रहे हैं, वहीं आप शराब के मामले में जल्द सुनवाई की मांग कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक शराब की दुकानें बंद रहेंगी, तब तक लोगों के लिए यह अच्छा रहेगा। मार्च में इस टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया गया था, और अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां हुई हैं। एसएस चंदेल और अन्य ने दलील दी कि 97 में से 87 दुकानें दो या तीन व्यक्तियों को दी गईं, जो अपनी अलग-अलग फर्मों, रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम से बोली लगा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी और यह नियमों के खिलाफ थी। टेंडर आमंत्रण नोटिस भी चुनौती दी गई, जिसमें आरोप था कि यह आबकारी नीति और पंजाब शराब लाइसेंस (चंडीगढ़ संशोधन) नियम, 2020 का उल्लंघन करती है।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नीति के तहत एक व्यक्ति, फर्म या कंपनी को 10 से अधिक दुकानें प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी ताकि एकाधिकार को रोका जा सके, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इससे कुछ व्यक्तियों को असामान्य रूप से शराब व्यापार पर नियंत्रण मिला, जबकि अन्य इच्छुक प्रतिभागियों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ। याचिका में यह भी कहा गया कि टेंडर प्रक्रिया को निष्पक्ष तरीके से आयोजित नहीं किया गया और इसमें गड़बड़ियां साफ दिख रही थीं।