चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भतीजे आकांक्ष सेन की हत्या के आठ साल बाद भी मुख्य आरोपी बलराज रंधावा पुलिस की पकड़ से बाहर है। चंडीगढ़ पुलिस की कार्रवाई उस समय सवालों के घेरे में आ गई, जब एक ही मामले में दो अलग-अलग थानों ने जिला अदालत में बिल्कुल विपरीत रिपोर्ट पेश कर दीं, जिससे कोर्ट असमंजस में पड़ गया।
सेक्टर-3 थाना पुलिस ने अदालत में अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा कि आरोपी बलराज रंधावा का कोई सुराग नहीं मिल सका है और इसलिए केस बंद किया जाना चाहिए। इसके उलट, क्राइम ब्रांच ने कोर्ट को बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया जा रहा है और प्रयास अभी जारी हैं। इन परस्पर विरोधी दावों ने अदालत को चौंका दिया।
मामले की सुनवाई कर रहे जज ने सेक्टर-3 थाने की अनट्रेस रिपोर्ट स्वीकार करने से इनकार कर दिया और फाइल जांच अधिकारी को लौटाते हुए दोबारा जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि जब एक इकाई आरोपी को न पकड़ पाने की बात कह रही है और दूसरी उसके प्रत्यर्पण की कोशिशों का हवाला दे रही है, तो ऐसी स्थिति में केस बंद करना उचित नहीं है।
गौरतलब है कि 9 फरवरी 2017 की रात सेक्टर-9 चंडीगढ़ में हुए झगड़े के बाद बलराज रंधावा ने अपनी बीएमडब्ल्यू कार से आकांक्ष सेन को कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। घटना के बाद सह-आरोपी हरमेहताब उर्फ फरीद को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि बलराज उसी रात फरार हो गया। बाद में उसे भगोड़ा घोषित किया गया और उसके खिलाफ धारा 174-ए के तहत अलग मामला दर्ज हुआ।
पुलिस के अनुसार, आरोपी के कनाडा में होने की आशंका के चलते प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन दस्तावेजों में खामियों के कारण फाइल वापस आ गई। अब मामला लीगल रिमेंबरेंसर विभाग को भेजा गया है। अदालत ने साफ संकेत दिए हैं कि जब तक जांच में स्पष्टता नहीं आती, तब तक आरोपी की तलाश जारी रहनी चाहिए।