चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ में ‘रेल रोको’ आंदोलन के दौरान शताब्दी ट्रेन रोकने के मामले में जिला अदालत ने पूर्व कांग्रेसी और वर्तमान भाजपा नेता शशि शंकर तिवारी समेत पांच लोगों को दोषी ठहराया है। अदालत ने दोषियों में पवन कुमार, हरविंदर सिंह, राज कुमार और प्रताप सिंह राणा को भी शामिल किया।
चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सचिन यादव की अदालत ने सभी पर रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 147 और 174ए के तहत दोषी करार देते हुए तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत का मानना है कि दोषियों ने रेलवे संचालन में बाधा डाली और बिना अनुमति ट्रैक पर प्रदर्शन किया, जिससे शताब्दी ट्रेन 10 मिनट लेट हुई।
घटना तीन सितंबर 2021 को सुबह 10 बजे चंडीगढ़ रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) थाना क्षेत्र के रेलवे गेट के पास हुई थी। दोषियों ने रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करते हुए लाल झंडा दिखाकर ट्रेन को रोका। इसके चलते रेल यातायात करीब 10 मिनट तक बाधित रहा। आरपीएफ ने मामले की जांच कर सभी दोषियों के खिलाफ चालान अदालत में पेश किया। सुनवाई के दौरान दोषियों ने स्वेच्छा से अपना दोष स्वीकार किया।
प्रदर्शन का मकसद चंडीगढ़ और बलटाना के बीच अंडर ब्रिज निर्माण के लिए था। इस मार्ग से रोजाना हजारों लोग गुजरते हैं और अंडर ब्रिज न होने की वजह से उन्हें अभी भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शशि शंकर तिवारी ने कहा कि आंदोलन उस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया था।