चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम के एजुकेशन कंसल्टेंट रणदीप घोषाल की याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज कई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। न्यायाधीश जसजीत सिंह बेदी ने स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत एफआईआर रद्द करने का अधिकार सीमित है और इसे केवल बहुत खास परिस्थितियों में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि एफआईआर रद्द करने की सुनवाई में आरोपों की सच्चाई या गवाहों की विश्वसनीयता पर चर्चा नहीं की जा सकती।
आरोपों के अनुसार, 2019 से 2021 के बीच गुरुग्राम, पानीपत, फतेहगढ़ साहिब और चंडीगढ़ में रणदीप घोषाल के खिलाफ 12 एफआईआर दर्ज हैं। आरोप है कि उन्होंने जर्मनी की यूनिवर्सिटी में एडमिशन और रहने की सुविधा दिलाने का लालच देकर परिवारों से बड़ी रकम ली, झूठे ऑफर लेटर दिए और वादे पूरे नहीं किए।
घोषाल के वकील ने यह दावा किया कि यह मामला सिविल विवाद जैसा है और उनके मुव्वकिल केवल कर्मचारी थे। लेकिन अदालत ने ईमेल, वित्तीय रिकार्ड और अन्य दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि प्रारंभिक जांच से लगता है कि घोषाल ही कंपनियों का संचालन और अकाउंट्स नियंत्रित कर रहे थे। एक जर्मन कंपनी ने भी उनके खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही की थी, जिसमें पाया गया कि घोषाल ने ग्राहकों को भ्रमित करने के लिए उस कंपनी से मिलते-जुलते डोमेन नाम रजिस्टर्ड करवाए थे।
न्यायाधीश जसजीत सिंह बेदी ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और प्रथम दृष्टया अपराध बनता है। उन्होंने जोर दिया कि संगीन अपराधों में जांच को पूरा होने देना जरूरी है और एफआईआर रद्द करना अपवाद है, नियम नहीं। अदालत ने याचिका को बिना किसी आधार के खारिज कर दिया और लंबित आवेदनों को भी निपटा दिया।