चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बाई पूरण की आत्महत्या को एक माह बीत चुका है, लेकिन मामले की जांच में चंडीगढ़ पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) धीमी रफ्तार से काम कर रही है। अब तक सुसाइड नोट के आधार पर दर्ज एफआईआर में शामिल हरियाणा कैडर के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज नहीं हो पाए हैं।
इस दौरान दिवंगत अधिकारी की पत्नी, वरिष्ठ आईएएस अमनीत पी. कुमार, के चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास में प्रशासनिक और केंद्रीय नेताओं का जमावड़ा बना रहा। हरियाणा सरकार की अफसरशाही में जातिवाद का विवाद उभरा, जिससे विभागीय कार्य प्रभावित हुए। पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर रातोंरात डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजराणिया सहित लगभग 14 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
SIT ने मामले से जुड़ी कुछ पूछताछ की, जैसे कि सुशील कुमार पर दर्ज रिश्वतखोरी के आरोप, जिसमें गनमैन की ओर से पूरण का नाम लिया गया था। हालांकि शिकायतकर्ता शराब कारोबारी प्रवीण बंसल के बयान तक रोहतक पुलिस से हासिल होने के बावजूद SIT द्वारा दर्ज नहीं किया गया। सुबह अमनीत के विरोध के बाद, पुलिस ने एससी-एसटी संबंधित धाराओं में संशोधन भी किया और आईजी पुष्पेंद्र कुमार की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय कमेटी गठित की गई।
शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए कोर्ट की अनुमति ली गई। कोर्ट के आदेश और पुलिस की त्वरित कार्रवाई के आश्वासन पर अमनीत ने पति के शव का पोस्टमार्टम कराया और परिवार ने अंतिम संस्कार संपन्न किया। मामले की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई अभी भी लंबित है, जो राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से गंभीर सवाल खड़े करता है।