चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ पुलिस के एक कॉन्स्टेबल नरेंद्र कुमार ने खुद ही चेक बाउंस के मामले में उलझन में फंस गया है। धनास पुलिस काम्पलेक्स के रहने वाले नरेंद्र ने रोपड़ निवासी किशोर कुमार के खिलाफ 6 लाख रुपये के चेक बाउंस का मामला दर्ज कराया था। हालांकि, अदालत में यह मामला झूठा साबित हुआ और किशोर को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में चौंकाने वाली बात कही कि नरेंद्र के पास 17 लाख रुपये कहां से आए, इस पर जांच होनी चाहिए।
कोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी और एसएसपी को आदेश दिया कि इस मामले की गहरी जांच की जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि एक सरकारी कर्मचारी, नरेंद्र, किस प्रकार ब्याज पर पैसे देने और लेन-देन करने के मामले में शामिल था। चंडीगढ़ जिला कोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि नरेंद्र कुमार ब्याज पर पैसे उधार देता था और उसने किशोर कुमार को 17 लाख रुपये उधार दिए थे। बाद में किशोर ने चेक के माध्यम से पैसे लौटाए, जिनमें से एक चेक फंड की कमी के कारण बाउंस हो गया, जिसके बाद नरेंद्र ने केस दर्ज करवा दिया।
वहीं, बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि नरेंद्र और किशोर के बीच दोस्ती का कोई मामला नहीं था, बल्कि किशोर ने पैसे की जरूरत होने पर नरेंद्र से उधार लिया था। वकीलों ने यह भी बताया कि नरेंद्र ने ब्याज पर 6 प्रतिशत दर से पैसे उधार दिए थे और बदले में किशोर से खाली चेक पर साइन भी करवाए थे। कोर्ट में यह भी बताया गया कि किशोर ने 5 लाख रुपये का चेक समय पर लौटा दिया था, लेकिन नरेंद्र ने उसका चेक वापस नहीं किया और गलत तरीके से उसके खिलाफ केस दर्ज करवा दिया।