चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: देश के वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञों और राष्ट्रीय चिकित्सा संस्थानों के अधिकारियों ने तंबाकू के सेवन से होने वाली गंभीर बीमारियों और मौतों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बीड़ी पर टैक्स 40 प्रतिशत तक बढ़ाने की सिफारिश की है। इस विषय पर पीजीआई चंडीगढ़ के तंबाकू नियंत्रण संसाधन केंद्र और वाइटल स्ट्रेटजीज ने “तंबाकू मुक्त भारत की दिशा: महामारी रोकने में कर की भूमिका” पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया। इसमें AIIMS, NICPR, ICMR, NIOH और NIIR-NCD समेत 10 राष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
RCTC के डायरेक्टर प्रो. सोनू गोयल ने कहा कि तंबाकू पर टैक्स बढ़ाना जरूरी है ताकि लोग इसे कम लें, क्योंकि इससे गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। उन्होंने मीडिया में फैली अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं के बीच सच्चाई सामने लाने की जरूरत पर जोर दिया, खासकर बीड़ी पर टैक्स घटाने के प्रस्ताव को लेकर।
स्वास्थ्य मंत्रालय के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. एल. स्वस्तिचरण ने बताया कि टैक्सेशन गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और तंबाकू नियंत्रण की सबसे किफायती रणनीति है। डॉ. पी.सी. गुप्ता ने कहा कि जब तक सभी तंबाकू उत्पादों पर समान टैक्स नहीं लगेगा, तब तक इसका पूरा लाभ नहीं मिलेगा। डॉ. राणा जे. सिंह ने WHO-FCTC के अनुच्छेद 6 का हवाला देते हुए कहा कि तंबाकू पर टैक्स बढ़ाना सबसे असरदार नियंत्रण रणनीति है।
तकनीकी सत्र में डॉ. उपेंद्र भोजानी और डॉ. रिजो जॉन ने बताया कि बीड़ी पर टैक्स घटाना गरीब और निम्न वर्ग में सबसे ज्यादा नुकसानदायक होगा। पैनल में शामिल सभी विशेषज्ञों ने एकमत से कहा कि तंबाकू टैक्सेशन केवल राजस्व का साधन नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप के रूप में देखा जाना चाहिए।