चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ के सेक्टर-9डी में मकान नंबर 305 की 50 फीसदी हिस्सेदारी के ट्रांसफर में चार साल से ज्यादा समय लगने पर राइट टू सर्विस कमीशन ने कड़ा रुख अपनाया। दीपा दुग्गल ने 27 जनवरी 2021 को अपनी बेटी गुनीता ग्रोवर के नाम हिस्सेदारी ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया था। नियम के मुताबिक इसे 40 दिनों में पूरा किया जाना था, लेकिन चार साल बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ। इसके बाद 22 जून 2025 को शिकायत दर्ज कराई गई।
जांच में सामने आया कि मकान की मूल फाइल दिसंबर 2015 में सीबीआई द्वारा एक अन्य मामले में जब्त की गई थी। एस्टेट ऑफिस ने अक्टूबर 2021 में फाइल लौटाने के लिए सीबीआई को पत्र लिखा, लेकिन इसमें 10 महीने लग गए। इसके अलावा पूर्व एईओ हरजीत सिंह संधू ने फाइल आगे बढ़ाने में 35 दिन की देरी की। कमीशन ने संधू को रिकॉर्डेबल चेतावनी दी और एस्टेट ऑफिस को निर्देश दिए कि देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश की जाए।
सीनियर असिस्टेंट शिव कुमार पर 62 दिन की देरी का आरोप लगा, जबकि क्लर्क राकेश पर 154 दिन की देरी और नोटिंग शीट में कटिंग-ओवरराइटिंग का आरोप पाया गया। शिव कुमार को 3,000 रुपये और राकेश को 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा कागजों में छेड़छाड़ के लिए विभागीय जांच का आदेश दिया गया। एईओ नवीन को तीन महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करने का समय दिया गया।