चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि देश की सेवा करने वाले पूर्व सैनिक जवान उम्र में जल्दी रिटायर हो जाते हैं। ऐसे में उनका पुनर्वास सुनिश्चित करना हर नियोक्ता का कर्तव्य है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक्स-सर्विसमैन कोटे में नौकरी का लाभ देने में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए। इस केस की अगली सुनवाई 15 अक्तूबर को होगी।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि पूर्व सैनिकों की सेवाओं का सम्मान केवल बातों में नहीं, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी होना चाहिए। बड़ी संख्या में जवान कम उम्र में रिटायर होते हैं, लेकिन उन्हें सिविल नौकरियों में उतने अवसर नहीं मिलते। अगर भर्ती के लिए तय की गई शैक्षणिक योग्यताएं इतनी कठिन हों कि आरक्षण का लाभ ही बेकार हो जाए, तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे नियमों में ढील देकर ही असली लाभ दिया जा सकता है।
यह मामला विनोद कुमार बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा एंड अदर्स से जुड़ा है। याचिकाकर्ता विनोद कुमार, जो पूर्व सैनिक हैं, ने जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) पद के लिए एक्स-सर्विसमैन कैटेगरी में परीक्षा दी थी। उन्हें 51.675 अंक मिले, जबकि इस कैटेगरी का कटऑफ 45.825 था। यानी वे पास हो गए थे। इसके बाद उन्होंने भारतीय नौसेना से अपने डिप्लोमा को समकक्षता (equivalence) प्रमाण पत्र जारी करने का अनुरोध किया। नौसेना ने भी पत्र में कहा कि CHEL (R)/CHEL (P) ट्रेड में ट्रेनिंग लेने वाले उम्मीदवार इस पद के लिए योग्य हैं।
सरकारी वकील ने दलील दी कि केवल नौसेना द्वारा दी गई समकक्षता मान्य नहीं है, विशेषज्ञ संस्था से मान्यता जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि नौसेना की ट्रेनिंग तकनीकी रूप से बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। प्रशिक्षण प्राप्त जवान उच्च तकनीक में माहिर होते हैं और दबाव की परिस्थितियों में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं। कोर्ट ने हरियाणा सरकार के अधीन निगम के प्रबंध निदेशक को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसमें जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) पद की शैक्षणिक योग्यताओं और इस नियम के बाद कितने पूर्व सैनिकों की नियुक्ति हुई, इसकी जानकारी देना जरूरी है।