चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: सेवा पखवाड़ा के तहत हरियाणा वन एवं वन्यजीव विभाग ने 23 सितंबर को पिंजौर स्थित जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र (जेसीबीसी) में गिद्ध संरक्षण पर एक विशेष राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में लगभग 20 स्थानीय पशुपालक शामिल हुए और गिद्ध संरक्षण के महत्व पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत गिद्ध संरक्षण पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाकर की गई। फिल्म में गिद्धों की पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका, उनके सामने आने वाले खतरों और उन्हें बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को विस्तार से समझाया गया।
केंद्र प्रबंधक हेमंत वाजपेयी ने बताया कि हरियाणा वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) लंबे समय से गिद्धों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने पशुपालकों को जागरूक करते हुए बताया कि कुछ दवाएं जैसे डाइक्लोफेनाक, कीटोप्रोफेन, एसिक्लोफेनाक और नाइमेसुलाइड गिद्धों के लिए जानलेवा साबित होती हैं।
उन्होंने पशुपालकों को यह सलाह दी कि वे मेलॉक्सिकैम और टॉल्फेनामिक एसिड जैसी सुरक्षित दवाओं का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से पशुओं के इलाज के बाद यदि गिद्ध उनका शव खाएं तो उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं होगा और गिद्धों की संख्या संरक्षित रहेगी।