22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस तनावपूर्ण माहौल में पाकिस्तान सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है। यह जानकारी एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में दी गई है।
भारत की संभावित कार्रवाई से डरा पाकिस्तान
हमले के बाद भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया की आशंका को देखते हुए पाकिस्तान में बेचैनी साफ नजर आ रही है। यही वजह है कि मौजूदा हालात को संभालने के लिए ISI प्रमुख को अब पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की कमान भी दे दी गई है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस संबंध में औपचारिक अधिसूचना भी जारी कर दी है।
यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब पाकिस्तान को डर है कि भारत जल्द ही किसी जवाबी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दे सकता है। पाकिस्तान सरकार और सेना की ओर से लगातार ऐसे बयान आ रहे हैं जो इस आशंका को और बल देते हैं।
सूचना मंत्री की चौंकाने वाली चेतावनी
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए दावा किया कि उन्हें विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली है जिसके अनुसार भारत अगले 24 से 36 घंटों के भीतर हमला कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ने कोई आक्रामक कार्रवाई की तो पाकिस्तान उसकी कड़ी प्रतिक्रिया देगा और किसी भी गंभीर परिणाम के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह बयान सिर्फ पाकिस्तान की सुरक्षा चिंता को नहीं दर्शाता, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा भी प्रतीत होता है।
ISI चीफ असीम मलिक को क्यों दी गई NSA की जिम्मेदारी?
लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI के मौजूदा प्रमुख हैं। उन्हें अब **NSA का अतिरिक्त कार्यभार सौंपे जाने का कारण यह है कि पाकिस्तान की सरकार मौजूदा हालात को किसी भी तरह से सैन्य और खुफिया दृष्टिकोण से संभालना चाहती है।
NSA जैसे पद पर सेना से जुड़े व्यक्ति को नियुक्त करना यह दर्शाता है कि पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति अब पूरी तरह सैन्य सोच से संचालित होगी। यह फैसला भारत की ओर से किसी भी संभावित सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक की आशंका को लेकर किया गया है।
पाकिस्तान का भारत पर आरोप और परमाणु हथियारों की चेतावनी
पाकिस्तान सरकार और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत पर पहलगाम हमले को लेकर “खोखली बयानबाजी” करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भारत बिना किसी ठोस सबूत के पाकिस्तान को दोषी ठहरा रहा है।
वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने रॉयटर्स को दिए बयान में दावा किया कि भारत की ओर से “सैन्य घुसपैठ” की योजना बनाई जा रही है और पाकिस्तान हाई अलर्ट पर है।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल तभी करेगा जब उसके अस्तित्व को सीधा खतरा होगा। यह बयान तनाव की गंभीरता को दर्शाता है और इस क्षेत्र को एक संवेदनशील युद्धक्षेत्र की ओर धकेल सकता है।
आतंकी संगठन ने पहले ली जिम्मेदारी, फिर पलटा बयान
इस हमले की जिम्मेदारी पहले लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रतिनिधि संगठन The Resistance Front (TRF) ने ली थी। लेकिन कुछ ही दिनों बाद TRF ने अपना बयान वापस ले लिया, जिससे संदेह और गहराता है।
भारत पहले ही इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ मान चुका है और पाकिस्तान से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है। TRF का दावा और फिर बयान वापसी पाकिस्तान की भूमिका को और संदिग्ध बनाता है।
भारत की रणनीति क्या हो सकती है?
भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक राष्ट्र सिद्ध करने में जुट सकता है। साथ ही वह सैन्य दबाव, राजनयिक अलगाव, और आर्थिक प्रतिबंधों की ओर भी कदम बढ़ा सकता है।
भारत ने संकेत दिए हैं कि अब सिंधु जल संधि जैसी द्विपक्षीय व्यवस्थाओं को भी खतरे में डाला जा सकता है। ऐसे में पाकिस्तान पर बहुआयामी दबाव पड़ने वाला है।
निष्कर्ष
पहलगाम आतंकी हमला भारत और पाकिस्तान के संबंधों में एक नया और खतरनाक मोड़ लेकर आया है। ISI प्रमुख को NSA बनाना यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अब सुरक्षा मामलों को पूरी तरह खुफिया और सैन्य स्तर पर नियंत्रित करना चाहता है।
बढ़ते तनाव और एक के बाद एक तीखे बयानों के बीच अब यह देखना होगा कि भारत किस तरह से राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर अपनी रणनीति को आगे बढ़ाता है। फिलहाल, दक्षिण एशिया में शांति की डोर बेहद कमजोर होती नजर आ रही है।