मुंबई, 21 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वेटिकन के मुताबिक स्थानीय समयानुसार आज सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर पोप ने आखिरी सांस ली। पोप फ्रांसिस इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। इटैलियन मीडिया के मुताबिक पोप की मृत्यु ब्रेन स्ट्रोक की वजह से हुई। स्ट्रोक से उनके दिमाग में रक्तस्राव हो गया था। आज रात 11:30 बजे वेटिकन में पोप का शव ताबूत में रखा जाएगा। उनके वेटिकन स्थित सेंट मार्था निवास पर कार्डिनल केविन जोसेफ फैरेल, पोप का शव ताबूत में रखेंगे। बुधवार को उनका शव सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा जा सकता है। पोप फ्रांसिस 1300 साल में पहले गैर-यूरोपीय थे, जिन्हें पोप चुना गया था। पोप ने समलैंगिक व्यक्तियों के चर्च आने, सेम-सेक्स कपल्स को आशीर्वाद देने, पुनर्विवाह को धार्मिक मंजूरी देने जैसे बड़े फैसले लिए। उन्होंने चर्चों में बच्चों के यौन शोषण पर माफी भी मांगी थी।
पिछले कई महीनों से पोप स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा था। वे 5 हफ्ते तक फेफड़ों में इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती थे। इलाज के दौरान कैथलिक चर्च के हेडक्वॉर्टर वेटिकन ने बताया था कि पोप की ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में किडनी फेल होने के लक्षण दिख रहे थे। हालांकि 14 मार्च को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था। आपको बता दें, नए पोप के चयन की प्रक्रिया को ‘पैपल कॉनक्लेव’ कहा जाता है। इसका मतलब पोप का चुनाव कराने के लिए कार्डिनल्स की गुप्त बैठक होता है। यह सम्मेलन आम तौर पर पोप का पद खाली होने के 15 से 20 दिन बाद होता है। कार्डिनल्स बड़े पादरियों का एक ग्रुप है। इनका काम पोप को सलाह देना है। हर बार इन्हीं कार्डिनल्स में से पोप चुना जाता है।