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बिहार चुनाव में मुस्लिम फैक्टर किसके पक्ष में? किस दल ने कितने दिए टिकट, किसे कितना फायदा

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Posted On:Saturday, October 25, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच, विपक्षी महागठबंधन द्वारा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के फैसले ने एक नई बहस छेड़ दी है। इस घोषणा के बाद, महागठबंधन पर बिहार की लगभग 18 प्रतिशत (1.8 करोड़) मुस्लिम आबादी को राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेलने का आरोप लगाया जा रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि जब केवल 2.5% आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता को डिप्टी सीएम का चेहरा बनाया जा सकता है, तो 18% मुस्लिम वोट बैंक को इतनी बड़ी घोषणा में क्यों नजरअंदाज कर दिया गया।

EBC वोट बैंक को साधने की रणनीति

महागठबंधन, जिसमें RJD प्रमुख दल है, पारंपरिक रूप से अपने 'एम-वाई' (मुस्लिम-यादव) गठजोड़ पर निर्भर रहा है। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के वोटों के बिखराव के कारण इसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। इसी नुकसान की भरपाई के लिए, मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा बनाना एक सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है। सहनी मल्लाह समुदाय (ईबीसी का एक प्रमुख हिस्सा) का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी आबादी लगभग 2-3 प्रतिशत है।

सहनी को आगे करके महागठबंधन एनडीए के मजबूत ओबीसी-ईबीसी गठबंधन को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है। सहनी, जो 2022 तक एनडीए का हिस्सा थे, ने इन चुनावों से पहले 15 से 20 सीटों और डिप्टी सीएम पद की मांग की थी। गठबंधन के भीतर किसी भी टूट से बचने और ईबीसी वोटों को एकजुट करने के लिए यह फैसला लिया गया, लेकिन इसने मुस्लिम नेतृत्व के लिए एक नया सवाल खड़ा कर दिया है।

विपक्षी और मुस्लिम दलों का तीखा हमला

महागठबंधन की इस घोषणा को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) दोनों ने लपक लिया है। बीजेपी लगातार यह मुद्दा उठा रही है कि "एनडीए ने शाहनवाज हुसैन जैसे मुस्लिम चेहरे दिए, लेकिन महागठबंधन ने 18% आबादी को क्या दिया?"

उधर, AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने यूपी और बिहार में मुसलमानों के वोट देने की अनिवार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि "गठबंधन के अंदर बिहार में 2.6% वाले को उपमुख्यमंत्री का चेहरा दिया जा रहा है... बिहार चुनाव में 18% मुस्लिमों की हिस्सेदारी तय होनी चाहिए।" AIMIM के नेता सयैद असीम वकार ने RJD के MY समीकरण पर निशाना साधते हुए कहा कि "13% वाले यादव जी, 4%, 6%, 2% वालो से कह रहे हैं कि तुम हमको वोट दो हम तुमको डिप्टी CM बना देंगे और 18% वाले मुसलमानों से कह रहे हैं हम तुमको बीजेपी से बचा लेंगे।" इन बयानों ने महागठबंधन को रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया है।

मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या और प्रतिनिधित्व की खाई

बिहार विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व का मुद्दा दशकों से राजनीतिक बहस का केंद्र रहा है। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में आबादी के अनुपात में लगभग 44 मुस्लिम विधायक होने चाहिए, लेकिन यह संख्या कभी पूरी नहीं हो पाई है।

वर्तमान चुनाव में विभिन्न दलों द्वारा उतारे गए मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या भी इस खाई को दर्शाती है:

AIMIM: 25 में से 23 उम्मीदवार मुस्लिम।

कांग्रेस: 61 सीटों में से 10 मुस्लिम उम्मीदवार।

जन सुराज पार्टी: पहली दो सूची के 116 में से 21 मुस्लिम उम्मीदवार।

RJD: 141 सीटों में से केवल 18 मुस्लिम उम्मीदवार।

एनडीए गठबंधन: केवल 5 मुस्लिम उम्मीदवार।

मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम चेहरा घोषित करने का कदम भले ही ईबीसी वोटों को साधने के लिए हो, लेकिन इसने बिहार की राजनीति में मुस्लिम प्रतिनिधित्व और उनके नेतृत्व को लेकर एक तीखी बहस को जन्म दे दिया है, जिसका असर विधानसभा चुनावों के परिणामों पर पड़ना तय है।


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