मुंबई, 05 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कर्नाटक के मैसूर में 1 सितंबर को अखिल भारतीय वाणी एवं श्रवण संस्थान (AIISH) के गोल्डन जुबली समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि थीं। कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी शामिल हुए। स्पीच के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति से पूछा कि क्या उन्हें कन्नड़ आती है, ताकि वे उसी भाषा में बात कर सकें।
इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने भाषण दिया और कहा कि कन्नड़ उनकी मातृभाषा नहीं है, लेकिन यह कर्नाटक की भाषा है। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत की हर भाषा, संस्कृति और परंपरा से प्रेम है और वे उनका सम्मान करती हैं। राष्ट्रपति ने लोगों से अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने की अपील की और कहा कि वे भी कन्नड़ भाषा धीरे-धीरे सीखने का प्रयास करेंगी। यह वीडियो सामने आने के बाद भाजपा ने इस पर आपत्ति जताई और इसे राष्ट्रपति का अपमान बताया। पूर्व मंत्री सुरेश कुमार ने कहा कि सिद्धारमैया में इतनी हिम्मत नहीं है कि वही सवाल राहुल गांधी, प्रियंका गांधी या सोनिया गांधी से पूछ सकें। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सिद्धारमैया की टिप्पणी अहंकार और अपमानजनक रवैये को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि कन्नड़ राज्य का गौरव है, लेकिन इसे जोड़ने और पुल बनाने का साधन होना चाहिए, न कि दूसरों को नीचा दिखाने का।
कर्नाटक में कन्नड़ भाषा से जुड़े तीन कानून लागू हैं, जिनमें कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग एक्ट-2015, कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग रूल-2017 और कर्नाटक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट रूल-2022 शामिल हैं। इन नियमों के तहत सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों और व्यवसायिक संस्थानों में कन्नड़ को प्राथमिकता दी जाती है। सार्वजनिक साइनबोर्ड, विज्ञापन और पैकेजिंग पर कन्नड़ का उपयोग अनिवार्य है। कन्नड़ भाषा को लेकर राज्य में पहले भी विवाद होते रहे हैं। हाल ही में बेंगलुरु में दुकानों पर गैर-कन्नड़ नेमप्लेट को लेकर प्रदर्शन हुए थे और महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच बस सेवाएं रोकनी पड़ी थीं, क्योंकि बसों पर कन्नड़ साइनबोर्ड नहीं लगे थे।