चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: हरियाणा, जिसे खेल और खेती का प्रदेश कहा जाता है, अब स्वास्थ्य को लेकर भी लोगों में जागरूकता बढ़ती दिख रही है। भारत सरकार की रिपोर्ट बताती है कि कोविड के बाद यहां हृदय रोग से होने वाली मौतों में कमी दर्ज की गई है। दिलचस्प बात यह है कि जहां पड़ोसी राज्यों में इस बीमारी से मौतों का आंकड़ा बढ़ा है, वहीं हरियाणा में लोग समय पर अस्पताल पहुंचने लगे हैं और अपना ख्याल रखने लगे हैं।
हालांकि एक चिंता यह भी है कि राज्य में कुल मौतों में सबसे बड़ा हिस्सा अभी भी हृदय रोग का ही है। 2022 में यहां 26.3% मौतें दिल की बीमारी से हुईं, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 28.1% था। कोविड के चलते 2021 में मौतें ज्यादा रहीं, लेकिन कोविड कम होने के बाद भी हृदय रोग का ग्राफ ऊंचा बना रहा। विशेषज्ञ कहते हैं कि अब भी सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनिल सूद बताते हैं कि दिल की धमनियों के सिकुड़ने से खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है और यही हार्ट अटैक का मुख्य कारण बनता है। उन्होंने कहा कि सीने या हाथ में दर्द, अचानक पसीना आना, लंबे समय से गैस की समस्या, पीठ या जबड़े में दर्द, चक्कर आना और सांस फूलना – ये सभी लक्षण हार्ट अटैक की ओर इशारा कर सकते हैं। खासतौर पर अगर आराम करने के बाद भी दर्द कम न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डॉ. सूद ने दिल के मरीजों को दो दवाएं हमेशा अपने पास रखने की सलाह दी – एस्पिरिन और सोर्बिट्रेट। हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण दिखने पर एस्पिरिन की गोली पानी में घोलकर पीनी चाहिए और सोर्बिट्रेट की गोली जीभ के नीचे रखनी चाहिए। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि यह सिर्फ अस्थायी राहत देती हैं, असली इलाज तो डॉक्टर के पास जाकर ही संभव है। लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।