अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों अपने पांच दिवसीय एशियाई दौरे पर हैं, जो उनके कार्यकाल का सबसे लंबा विदेशी प्रवास माना जा रहा है। रविवार को उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं से मुलाकात की, जहां उनकी मौजूदगी में दोनों देशों के बीच युद्धविराम समझौते (Ceasefire Agreement) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थायी शांति की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। ट्रंप का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब क्षेत्रीय तनाव बढ़ रहा था और आसियान देशों के बीच स्थिरता को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंताएं जताई जा रही थीं। अब जबकि यह समझौता राष्ट्रपति ट्रंप की मध्यस्थता में हुआ है, इसे उनकी ‘शांति कूटनीति’ (Peace Diplomacy) की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
थाईलैंड-कंबोडिया ने ट्रंप की मौजूदगी में किया युद्धविराम समझौता
बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति की मौजूदगी में विस्तारित युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता न केवल सीमा विवाद को समाप्त करेगा बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग के नए रास्ते भी खोलेगा। थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “हम राष्ट्रपति ट्रंप के व्यक्तिगत हस्तक्षेप और समर्पण के आभारी हैं। उनके कारण हम आज शांति की दिशा में निर्णायक कदम उठा सके हैं।” वहीं कंबोडिया के नेता ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच वर्षों से चल रहे संघर्षों को समाप्त करेगा और स्थायी शांति की नींव रखेगा।
ट्रंप बोले – आठ महीनों में खत्म किए आठ युद्ध
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उनके प्रशासन ने बीते आठ महीनों में आठ बड़े युद्धों को समाप्त कराया है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल संघर्ष समाप्त करना नहीं, बल्कि स्थायी शांति कायम करना है। दुनिया को यह समझना होगा कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि अब सिर्फ पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच चल रहा संघर्ष शेष है, जिसे भी जल्द सुलझा लिया जाएगा। ट्रंप ने कहा, “मैं पाकिस्तान और अफगानिस्तान, दोनों देशों के नेताओं को व्यक्तिगत रूप से जानता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि यह विवाद भी बातचीत के जरिए खत्म किया जा सकता है। हालांकि यह काम संयुक्त राष्ट्र (UN) को करना चाहिए, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो अमेरिका पीछे नहीं हटेगा।”
थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने दी प्रतिक्रिया
थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने युद्धविराम समझौते के बाद कहा कि यह केवल एक दस्तावेज नहीं बल्कि आने वाले शांति युग की शुरुआत है। उन्होंने बताया कि दोनों देश आने वाले महीनों में हथियार हटाने, सीमाई सैनिकों की वापसी और युद्धबंदियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू करेंगे। यह कदम दक्षिण-पूर्व एशिया में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। कंबोडिया के प्रधानमंत्री ने भी ट्रंप को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब दोनों देश व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में नई साझेदारी शुरू करेंगे।
आसियान सम्मेलन में भाग लेंगे ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह एशियाई दौरा कुआलालंपुर (मलेशिया) से शुरू हुआ है, जहां वे आसियान (ASEAN) सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन में एशियाई देशों के बीच सुरक्षा, व्यापार और रक्षा सहयोग को लेकर चर्चा होगी। इसके बाद ट्रंप जापान और दक्षिण कोरिया के बुसान का दौरा भी करेंगे। यह यात्रा अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूत करने और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
वैश्विक मंच पर अमेरिका की भूमिका पर जोर
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका अब केवल एक “सैन्य शक्ति” नहीं बल्कि “शांति का संरक्षक” बनना चाहता है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में निर्णायक भूमिका निभाई है और अब दुनिया को स्थायी शांति की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दौरा सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं बल्कि “विश्व शांति के लिए नई पहल” है।