चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: अगर आप कभी चंडीगढ़ गए हैं या सुखना झील के आसपास सैर की हो, तो आपने एक ऐसे शख्स को जरूर देखा होगा जो बिना थके सड़कों पर बिखरा कूड़ा उठाकर कूड़ेदान में डालते हैं। ये हैं महेंद्र सिंह, जो बीते कई सालों से चंडीगढ़ नगर निगम में काम कर रहे हैं। उनकी कहानी जितनी साधारण दिखती है, उतनी ही प्रेरणादायक भी है।
महेंद्र सिंह ने सिर्फ 20 साल की उम्र में चारा मशीन के हादसे में अपने दोनों हाथ खो दिए थे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। जिंदगी से जंग लड़ते हुए उन्होंने खुद को फिर से खड़ा किया। सालों तक नौकरी की तलाश में भटकते रहे, कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
आखिरकार, 1990 में उन्हें चंडीगढ़ नगर निगम में काम मिला, और तब से वे शहर की सफाई और सुंदरता बनाए रखने में जुटे हुए हैं। बिना हाथों के भी वे ऐसा जज्बा दिखाते हैं कि देखने वाला हर व्यक्ति प्रेरित हो जाता है। उनका कहना है, “ये जज्बा अंदर से ही आता है। मैं धरती से जुड़ा इंसान हूं, कर्म करता हूं और कर्म ही प्रधान है। कर्म से ही जाति-पाती है, यही मेरा मानना है।”
महेंद्र सिंह का यह समर्पण चंडीगढ़ की खूबसूरती के साथ-साथ इंसानियत की भी मिसाल है। उन्होंने साबित किया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो शारीरिक कमी कभी रुकावट नहीं बनती।