चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: नगर निगम (MC) की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, जिसके चलते उसकी बकाया देनदारियां और लंबित बिल बढ़कर 2024-25 वित्तीय वर्ष में ₹100 करोड़ तक पहुंच गए हैं। फरवरी महीने के वेतन में पहले ही देरी हो चुकी है, और अब मार्च के वेतन भुगतान पर भी संकट मंडरा रहा है। इसके अलावा, पेंशन भुगतान, बिजली-पानी के बिल, ठेकेदारों के भुगतान, रखरखाव कार्य, ईंधन खर्च और अन्य जरूरी देनदारियां भी नगर निगम पर बोझ बनी हुई हैं। अधिकारियों के मुताबिक, मई 2024 से ही विकास कार्य ठप पड़े हैं, क्योंकि निगम अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पा रहा है।
नगर निगम के खाते में इस समय ₹100 करोड़ के लंबित बिल पड़े हैं, और कुछ बिलों को अभी संकलित किया जाना बाकी है, जिससे यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। जनवरी और फरवरी में कर्मचारियों के वेतन में देरी के बाद मार्च में भी यही स्थिति बनी हुई है। निगम ने स्पष्ट किया है कि जब तक केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन (UT) से अनुदान नहीं मिलता, तब तक नियमित कर्मचारियों के वेतन का भुगतान संभव नहीं होगा। यदि 15 मार्च तक कोई फंड जारी नहीं होता, तो निगम को सरकारी संस्थानों या बैंकों से कर्ज लेने के विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं।
पंजाब के राज्यपाल और यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने 22 फरवरी को आश्वासन दिया था कि 2024-25 के बजट में से अधिशेष राशि नगर निगम को दी जाएगी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने में समय लग सकता है, जिससे 15 मार्च से पहले कोई फंड जारी होने की संभावना कम ही है। ऐसे में, नगर निगम की वित्तीय स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, जिससे कर्मचारियों और अन्य हितधारकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।