चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने चंडीगढ़ ग्रेनेड ब्लास्ट मामले में बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 16 स्थानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई का उद्देश्य मामले से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत इकट्ठा करना और अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार करना था। 2024 में चंडीगढ़ में हुए इस ब्लास्ट में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का हाथ सामने आया है।
पंजाब में NIA ने 14 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें अमृतसर के कई इलाके भी शामिल थे। इस मामले में पहले ही पंजाब पुलिस ने रोंहन मसीह नामक एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। जांच में यह खुलासा हुआ कि अमेरिका में रह रहे हरप्रीत सिंह ने इस ब्लास्ट के लिए हथियार और वित्तीय सहायता मुहैया कराई थी। छापेमारी के दौरान स्थानीय पुलिस ने भी पूरी तरह से सहयोग किया।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी NIA ने एक-एक स्थान पर छापेमारी की और संदिग्धों से जुड़े दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए। अधिकारियों का कहना है कि इन छापों से आतंकवादियों की गतिविधियों से जुड़ी अहम जानकारी मिल सकती है, जो इस मामले की जांच को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि चंडीगढ़ ब्लास्ट के मास्टरमाइंड, हरविंदर सिंह रिंडा ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने में मुख्य भूमिका निभाई थी। रिंडा के साथ हरप्रीत सिंह ने अपने नेटवर्क के माध्यम से पंजाब में ग्रेनेड और अन्य विस्फोटक सामग्री भेजी। ISI और BKI के कनेक्शन से यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा चुनौती बन गया है।
पुलिस द्वारा की गई जांच में यह पता चला कि ब्लास्ट के बाद अपराधी अन्य राज्यों में भाग गए थे। सितंबर 2024 में चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में हुए इस ग्रेनेड हमले को अंजाम देने के बाद, संदिग्ध जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में छिपे थे। NIA और पंजाब पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से इस मामले के कई नए पहलू सामने आ रहे हैं, जो मामले की सुलझान में सहायक साबित हो रहे हैं।