चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: पंजाब में शराब की कीमतें चंडीगढ़ की तुलना में ज़्यादा हैं, और यही वजह है कि मुनाफाखोर लगातार चंडीगढ़ से पंजाब में अवैध रूप से शराब ले जाकर बेच रहे हैं। यह तस्करी किसी व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि एक संगठित तरीके से की जा रही है, जिससे पंजाब सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। इस तरह की अवैध गतिविधियों से न सिर्फ राज्य की आमदनी प्रभावित हो रही है, बल्कि कानून व्यवस्था भी खतरे में पड़ती है।
पिछले एक महीने में शराब की तस्करी से जुड़े 35 से अधिक केस पंजाब में दर्ज किए जा चुके हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए पंजाब के आबकारी विभाग ने चंडीगढ़ प्रशासन को एक आधिकारिक पत्र भेजा है। इस पत्र के साथ उन सभी मामलों की सूची और जब्त की गई 44 पेटियों का विवरण भी दिया गया है, जिन पर जानबूझकर ट्रैक और ट्रेस के होलोग्राम मिटा दिए गए थे। इससे साफ है कि इस तस्करी के पीछे कोई गहरी साजिश और सोची-समझी योजना है।
पंजाब के आबकारी अधिकारियों ने पहले भी चंडीगढ़ प्रशासन को तस्करी के मामलों की जानकारी दी थी। 13 जनवरी 2025 को दर्ज एक केस का हवाला देते हुए सहायक आबकारी आयुक्त, रोपड़ ने इस पर तुरंत एक्शन की मांग की थी। उन्होंने कहा कि यूटी प्रशासन को कई बार अलर्ट किया गया है, फिर भी हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं। हालांकि, पंजाब सरकार खुद इस मामले को गंभीरता से ले रही है और रात में विशेष नाके और चेकिंग अभियान चलाए जा रहे हैं, जिनमें लगातार बड़ी मात्रा में शराब पकड़ी भी जा रही है।
तस्करी के लिए अपराधी अलग-अलग तरीकों का सहारा ले रहे हैं—कभी ट्रकों, कारों और मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल होता है तो कभी एम्बुलेंस तक का सहारा लिया जाता है। शराब को दूध के डिब्बों, पानी की बोतलों या दूसरे सामान में छिपाकर भी ले जाया जाता है, और यहां तक कि ट्रेनों से भी चंडीगढ़ से पंजाब में शराब पहुंचाई जाती है। अगर कोई व्यक्ति बिना परमिट चंडीगढ़ या किसी अन्य राज्य की शराब बेचते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे पंजाब आबकारी अधिनियम के तहत भारी जुर्माना और जेल तक की सजा हो सकती है। यह जुर्माना ₹50,000 से ₹2 लाख तक हो सकता है और तीन महीने से तीन साल तक की कैद भी संभव है। इसके अलावा, तस्करी में इस्तेमाल किया गया वाहन भी जब्त किया जा सकता है।