चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: आम आदमी पार्टी (AAP) की पंजाब सरकार ने अपने कार्यकाल का चौथा बजट पेश किया, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य को प्रमुखता दी गई है। कुल बजट का लगभग एक-चौथाई हिस्सा इन दो क्षेत्रों पर खर्च करने का प्रस्ताव है। सरकार का लक्ष्य दिल्ली मॉडल की तर्ज पर पंजाब में भी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना और सरकारी स्कूलों को निजी संस्थानों के मुकाबले खड़ा करना है। स्वास्थ्य के मोर्चे पर, राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मुफ्त इलाज की सीमा 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे पंजाब के नागरिकों को बड़ा फायदा मिलेगा। हालांकि, इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
मुफ्त बिजली योजना को जारी रखने के लिए सरकार ने 7614 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो AAP के चुनावी वादों में से एक प्रमुख योजना रही है। हालांकि, कर्ज की बढ़ती समस्या सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। 2022 से 2023 तक पंजाब पर 32.79 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 2026 तक 40 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इसके बावजूद, नए बजट में राजस्व घाटा 2.51% और राजकोषीय घाटा 3.84% तक कम किया गया है। इसके अलावा, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए शहरों और गांवों में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई है, जिससे सरकार की प्राथमिकताओं का संकेत मिलता है।
कृषि क्षेत्र के लिए 14,524 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसमें जल संकट को देखते हुए किसानों को धान के बजाय मक्का की खेती के लिए 17,500 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी देने की योजना बनाई गई है। नशामुक्ति अभियान के तहत सरकार ने ड्रग्स सेंसस के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिससे नशे के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया जाएगा। वहीं, राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए होमगार्ड की तैनाती का फैसला लिया गया है। हालांकि, महिलाओं के लिए सम्मान राशि से जुड़ी किसी योजना का उल्लेख बजट में नहीं किया गया, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या इसे आगामी चुनावी साल के लिए बचाकर रखा गया है।