चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ में प्रशासनिक बदलाव को लेकर राजनीति गर्मा गई है। केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में 40 साल बाद प्रशासक के सलाहकार का पद समाप्त कर मुख्य सचिव का नया पद सृजित करने का निर्णय लिया है। इस कदम को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने विरोध जताया है। इन दलों का कहना है कि यह कदम पंजाब के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता नील गर्ग ने इस बदलाव का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना था कि यदि केंद्र सरकार ने इसे वापस नहीं लिया तो वह विधानसभा में इस निर्णय के खिलाफ प्रस्ताव लाकर इसे रद्द करने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही वह सड़कों पर उतरकर इस मुद्दे पर प्रदर्शन भी करेंगे। गर्ग ने इस फैसले को चंडीगढ़ के लोगों के अधिकारों पर हमला बताया।
आप सांसद मालविंदर सिंह कंग ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चंडीगढ़, पंजाब की राजधानी है, और इसे पंजाब के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र को चंडीगढ़ से जुड़े किसी भी निर्णय से पहले पंजाब सरकार से सलाह लेनी चाहिए। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार का उद्देश्य चंडीगढ़ को पंजाब के अधिकारों से अलग करना है।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी केंद्र के इस फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह कदम चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश है। सुखबीर ने चेतावनी दी कि इस फैसले के दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं और केंद्र को पंजाब के हितों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उनका मानना है कि चंडीगढ़ और पंजाब के अन्य मुद्दों को हल करना पंजाब के पुनर्गठन की अधूरी प्रक्रिया का हिस्सा है।
सुखबीर बादल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ भी बयान दिया, और आरोप लगाया कि वह केंद्र के साथ मिलकर पंजाब के खिलाफ निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने पंजाब के लोगों को चेतावनी दी कि उन्हें केंद्र सरकार के इस तरह के कदमों के खिलाफ सजग रहना होगा।