चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है, लेकिन सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिले को लेकर हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। नियम के अनुसार, एक कक्षा में अधिकतम 45 छात्रों को ही बैठाया जा सकता है, जिससे स्कूलों में सीमित सीटें ही उपलब्ध हैं। शिक्षा विभाग ने निर्देश तो दिए हैं कि किसी भी बच्चे के फॉर्म लेने से मना न किया जाए, लेकिन दाखिला देना शिक्षकों के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में माता-पिता को फॉर्म तो भरने का मौका मिल रहा है, परंतु दाखिले की कोई गारंटी नहीं है, जिससे उनमें असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
हर दिन कई अभिभावक अपने बच्चों के फॉर्म लेकर स्कूलों के चक्कर काटते हैं, पर अधिकांश को निराश होकर लौटना पड़ता है। कई स्कूलों में दाखिले की अधिकतम सीमा पहले ही पूरी हो चुकी है, जिससे शिक्षक चाहकर भी नए बच्चों को दाखिला नहीं दे पा रहे। बच्चों को स्कूल में जगह नहीं मिल रही, और दूसरी तरफ अभिभावकों को यह भी नहीं बताया जा रहा कि कब और कैसे दाखिला मिल सकेगा, जिससे उनके मन में भ्रम और चिंता बढ़ रही है।
कॉलोनी इलाकों में यह समस्या और गंभीर रूप ले चुकी है, खासकर किशनगढ़ और बापूधाम जैसे क्षेत्रों में। इन इलाकों में रहने वाले अधिकतर परिवार प्रवासी मजदूर हैं, जिनके पास निजी स्कूलों में फीस भरने की क्षमता नहीं है। उनका कहना है कि यदि सरकार सरकारी स्कूलों में सीटें नहीं बढ़ाएगी, तो उनके बच्चों की पढ़ाई अधर में लटक जाएगी। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित किया जाए, ताकि कोई भी बच्चा स्कूल से वंचित न रह जाए।