चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ प्रशासन ने एक अहम निर्णय लिया है, जिसके तहत शहर के सभी प्राइवेट स्कूलों को अब गरीब और कमजोर वर्ग (EWS) तथा वंचित समूह (DG) के बच्चों को 1 से 8वीं तक मुफ्त शिक्षा देनी होगी। इसका मतलब यह है कि इन स्कूलों को हर साल कम से कम 15% सीटें इन बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होंगी। यह कदम प्रशासन ने उन स्कूलों के लिए उठाया है जिन्हें सस्ती दरों पर सरकारी जमीन दी गई है, और इन स्कूलों को यह भूमि समाजसेवा के उद्देश्य से दी गई थी, न कि मुनाफा कमाने के लिए।
जमीन के कॉन्ट्रैक्ट और संविधानिक जिम्मेदारी
चंडीगढ़ के शिक्षा निदेशक हरसुहिंदर पाल सिंह बराड़ ने बताया कि इस नियम का उल्लेख पहले से ही स्कूलों के जमीन के कॉन्ट्रैक्ट में किया गया था। साथ ही, संविधान के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि हर बच्चे को समान शिक्षा का अधिकार मिले। चंडीगढ़ में 83 प्राइवेट स्कूल हैं, जिनमें 20 अल्पसंख्यक और 63 गैर-अल्पसंख्यक हैं, और सभी को इस नियम का पालन करना होगा।
RTE और चंडीगढ़ प्रशासन की अलग योजना
चंडीगढ़ प्रशासन की योजना के अनुसार, 1996 में यह निर्देश जारी किया गया था कि जिन स्कूलों को सस्ती दरों पर भूमि दी जाएगी, उन्हें 15% सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होंगी और इन बच्चों से फीस भी बहुत कम ली जाएगी। जबकि RTE कानून में 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए निर्धारित हैं, चंडीगढ़ प्रशासन ने पहले से ही 15% सीटों का नियम लागू कर रखा है और यह अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाने का वादा करता है।