चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: बिजली विभागों के निजीकरण के खिलाफ देशभर के बिजली कर्मचारी और अभियंता एकजुट हो गए हैं। चंडीगढ़ में विद्युत विभाग के निजीकरण के निर्णय के खिलाफ विरोध जताने के लिए उन्होंने 31 जनवरी को देशभर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। चंडीगढ़ प्रशासन ने हाल ही में यह निर्णय लिया कि 31 जनवरी को विद्युत विभाग को निजी कंपनी को सौंप दिया जाएगा, जिसे लेकर कर्मचारी और जनता विरोध कर रहे हैं।
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर (एनसीसीओईईई) के सदस्य सुभाष लांबा ने बताया कि पिछले तीन महीने से चंडीगढ़ के कर्मचारी और नागरिक बिजली निजीकरण के खिलाफ सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर राजनीतिक दल भी सक्रिय हैं और राज्यपाल को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने अब तक किसी तरह की वार्ता करने का कोई प्रयास नहीं किया है।
सुभाष लांबा ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर चंडीगढ़ में आयोजित एक आमसभा में बिजली विभाग के कर्मचारी और उपभोक्ता भाग लेंगे। इस सभा के दौरान बिजली निजीकरण के विरोध में एक लाख उपभोक्ताओं के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा जाएगा।
इसी बीच, पड़ोसी राज्यों के बिजली कर्मचारी भी चंडीगढ़ में होने वाले निजीकरण के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। ऑल हरियाणा पावर कॉर्पोरेशन वर्कर यूनियन के अध्यक्ष सुरेश राठी, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के तकनीकी कर्मचारी संघों के अध्यक्षों ने स्पष्ट किया कि यदि चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी 1 फरवरी से निजी कंपनी के अधीन काम करने से मना करते हैं, तो हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कर्मचारी चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति को लेकर सहयोग नहीं करेंगे।
इस स्थिति को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ माहौल गरमाया हुआ है और कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यदि उनके मुद्दों का समाधान नहीं हुआ तो पूरे क्षेत्र में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। यह विरोध प्रदर्शन सरकारी कर्मचारियों की एकजुटता का प्रतीक बनता जा रहा है, जो निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।