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चंडीगढ़ में किसानों और केंद्र सरकार के बीच एमएसपी गारंटी पर वार्ता जारी

Photo Source : Google

Posted On:Wednesday, March 19, 2025

चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ में किसानों और केंद्र सरकार के बीच नए दौर की वार्ता शुरू हो गई है, जिसमें किसानों की प्रमुख मांगों पर चर्चा की जा रही है। इनमें सबसे अहम है फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी। बैठक बुधवार को सुबह 11:50 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी लोक प्रशासन संस्थान में हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस बैठक में शामिल हुए। पंजाब सरकार की ओर से वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्यिां भी वार्ता में मौजूद रहे।

बैठक से पहले किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता में हिस्सा लिया। किसान नेताओं ने उम्मीद जताई कि इस बार सरकार के साथ बातचीत से कोई ठोस समाधान निकलेगा। सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "हम सकारात्मक सोच के साथ आए हैं। बैठक में कुछ ठोस निर्णय होने चाहिए। हमें उम्मीद है कि एमएसपी गारंटी कानून पर गतिरोध खत्म होगा और बातचीत आगे बढ़ेगी।" किसान नेताओं जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर सहित कई प्रतिनिधि बैठक स्थल पर पहले ही पहुंच चुके थे।

डल्लेवाल, जो अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं, एंबुलेंस से बैठक स्थल पहुंचे। उन्होंने कहा कि वे किसानों द्वारा दिए गए एमएसपी के आंकड़ों पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इससे पहले, 22 फरवरी को भी किसानों और केंद्र सरकार के बीच इसी मुद्दे पर बैठक हुई थी, जिसमें सरकार ने एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसानों से डेटा मांगा था। किसानों ने कहा था कि एमएसपी की गारंटी के लिए सरकार को सालाना करीब 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इससे पहले 14 फरवरी को केंद्रीय मंत्री जोशी के नेतृत्व में एक और बैठक हुई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है।

पिछले साल 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। किसान न सिर्फ एमएसपी की कानूनी गारंटी, बल्कि कर्ज माफी, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक, किसानों पर दर्ज पुलिस केस वापस लेने, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं। फरवरी 2024 में किसानों और सरकार के बीच चार दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है।


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