चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: हरियाणा के मोरनी पहाड़ी इलाके में बने अवैध गेस्ट हाउस को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से कड़ा सवाल किया है। कोर्ट ने पूछा कि अगर ये गेस्ट हाउस वन क्षेत्र में हैं तो इन्हें गिराया क्यों नहीं गया? कोर्ट ने कहा कि आप कह रहे हैं कि तीन साल पहले नोटिस दिए थे, लेकिन उसके बाद क्या कदम उठाए गए? वन विभाग के एसीएस द्वारा दाखिल हलफनामा भी कोर्ट को संतोषजनक नहीं लगा। कोर्ट ने कहा कि यह हलफनामा जितना बताने वाला है, उससे ज्यादा छिपाने वाला है। अब कोर्ट ने एसीएस को नए सिरे से और विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
गांवों का माहौल बिगाड़ रहे अवैध गेस्ट हाउस
इस मामले में याद राम और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मोरनी और आसपास के अवैध गेस्ट हाउस बंद कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि ये गेस्ट हाउस अवैध, अनैतिक और अवांछित गतिविधियों का अड्डा बन चुके हैं। गांव जाला से थापली के बीच करीब तीन किलोमीटर के दायरे में 20 से ज्यादा गेस्ट हाउस हैं, जो बिना अनुमति के बनाए गए हैं। इन गेस्ट हाउस की वजह से आसपास के गांवों का माहौल खराब हो रहा है और स्थानीय बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है।
22 गेस्ट हाउस सील, जल्द होगी कार्रवाई
कोर्ट में हरियाणा सरकार ने बताया कि इलाके में 24 विवादित गेस्ट हाउस हैं, जिनमें से 22 को पहले ही सील किया जा चुका है। सरकार ने यह भी बताया कि अवैध निर्माण के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई शुरू की जाएगी, लेकिन उससे पहले एक सर्वे किया जाएगा। अवैध गेस्ट हाउस के मालिकों पर एफआईआर की सिफारिश भी की गई है।
पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट का उल्लंघन
याचिका में यह भी बताया गया है कि गांव चांदी, नाडा वाला, मंदाना और थापली, जिन्हें संयुक्त रूप से भोज माटोर कहा जाता है, पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट के तहत नोटिफाइड हैं, जहां किसी भी तरह का निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। इसके बावजूद यहां बड़े-बड़े गेस्ट हाउस बनाए जा रहे हैं, जिनके लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है।