चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: नीट-पीजी सीटों के आवंटन को लेकर अब एक नया विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। मामला चंडीगढ़ की यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) कोटे की सीटों को अखिल भारतीय कोटे (AIQ) में शामिल करने का है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के पहले दिए गए "तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल" मामले के आदेश का उल्लंघन करता है।
जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया था कि पीजी मेडिकल सीटों पर निवास आधारित आरक्षण असंवैधानिक है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा था कि पीजी में दाखिला योग्यता के आधार पर ही होना चाहिए। हालांकि, संस्थान आधारित प्राथमिकता को सीमित रूप से मान्यता दी गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील जगजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि 9 अप्रैल 2025 को एक पब्लिक नोटिस जारी किया गया जिसमें कहा गया कि चंडीगढ़ के मेडिकल कॉलेजों की शेष राज्य कोटा वाली सीटें अब अखिल भारतीय मेरिट से भरी जाएंगी। याचिका में इस नोटिस को सीधे सुप्रीम कोर्ट के पहले फैसले की अवमानना बताया गया है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यह मामला पहले दिए गए फैसले से जुड़ा है, इसलिए इसे उसी पीठ के पास भेजा जाएगा जिसने "तन्वी बहल केस" में निर्णय सुनाया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पाया गया कि प्रवेश प्रक्रिया में कोई उल्लंघन हुआ है, तो उसे रद्द किया जा सकता है। हाई कोर्ट पहले ही चंडीगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में निवास आधारित आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर चुका है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया था।