चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ में प्रशासन द्वारा चार साल बाद कलेक्टर रेट बढ़ाने के फैसले का लोगों में भारी विरोध देखा जा रहा है। व्यापार मंडल, रियल एस्टेट से जुड़े कारोबारी और आम नागरिकों ने इस फैसले को गलत बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। 1 अप्रैल से लागू होने वाले संशोधित कलेक्टर रेट का असर शहर के बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ेगा, जिससे प्रॉपर्टी खरीदना और बेचना महंगा हो जाएगा। इससे खासतौर पर मध्यम वर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा, जिससे उनकी संपत्ति निवेश योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
चंडीगढ़ व्यापार मंडल के पूर्व प्रधान और मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन सेक्टर 44/डी के अध्यक्ष अनिल वोहरा ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि पहले से ही चंडीगढ़ में कलेक्टर रेट काफी अधिक हैं, चाहे वह रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी हो या कमर्शियल। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि वे पहले पूर्व में बढ़ाए गए रेट्स की समीक्षा करें, क्योंकि यदि रेट सही होंगे, तो प्रॉपर्टी की बिक्री और ट्रांसफर आसान होगी। व्यापार मंडल के प्रधान सरदार चरणजीत सिंह ने भी प्रशासन से अपील की है कि कलेक्टर रेट न केवल स्थिर रखे जाएं बल्कि पूर्व में बढ़ाए गए रेट भी घटाए जाएं।
रियल एस्टेट कारोबारी मुकेश गोयल ने भी प्रशासन के इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि कलेक्टर रेट बढ़ाने से सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्गीय परिवारों पर पड़ेगा। उन्होंने प्रशासन को सुझाव दिया कि यदि राजस्व बढ़ाने की जरूरत है, तो स्टांप ड्यूटी को 5% से 6% किया जा सकता है, जिससे सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी और लोगों पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा। उनका मानना है कि चंडीगढ़ में पहले ही रियल एस्टेट सेक्टर मुश्किल दौर से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह के फैसले संपत्ति बाजार को और कमजोर कर सकते हैं।