चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में पंजाब पुलिस (हरियाणा संशोधन) नियम, 2015 को वैध ठहराते हुए कहा कि छोटे-मोटे अपराधों में शामिल लोगों को सरकारी नौकरी से पूरी तरह वंचित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियम केवल उन उम्मीदवारों पर लागू होते हैं, जिनके खिलाफ तीन साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के आरोप तय किए गए हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि तीन साल से कम सजा वाले छोटे-मोटे अपराधों के मामलों में राज्य अधिकारियों का नरम रुख रखना उचित है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता ने कहा कि कई बार लोग परिस्थितियों के चलते छोटे अपराधों में शामिल हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें जीवनभर सरकारी नौकरी के अवसरों से वंचित किया जाए।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि आरोप सिर्फ अनुमान के आधार पर तय किए जा सकते हैं और सिर्फ इस वजह से किसी को सरकारी नौकरी से वंचित करना गलत है। याची ने नियम 12.18(3)(बी) को चुनौती देते हुए कहा कि इससे उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होता है, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
कोर्ट ने साफ किया कि नियम बनाने वाली प्राधिकरण को पुलिस सेवाओं के लिए ऐसे नियम बनाने का अधिकार है, जो नैतिक मूल्यों की रक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि पुलिस बल में केवल योग्य और साफ छवि वाले लोग शामिल हों। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।