चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ की सड़कों पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जनवरी 2021 से लेकर अब तक के चार वर्षों में सड़क हादसों में पांच पुलिसकर्मियों की जान जा चुकी है, जबकि 58 से ज्यादा घायल हुए हैं। इस साल भी दो बड़े हादसे हो चुके हैं। हाल ही में 14 मार्च को जीरकपुर-चंडीगढ़ बॉर्डर पर एक दर्दनाक घटना में सिपाही सुखदर्शन और होमगार्ड राजेश की मौत हो गई थी। इससे पहले, एक महीने पहले सेक्टर-39 में एक कार चालक ने ट्रैफिक पुलिसकर्मी को टक्कर मार दी थी, जिसमें पुलिसकर्मी के हाथ में गंभीर चोट आई थी।
इन हादसों का सिलसिला पिछले चार सालों से जारी है। साल 2021 में चंडीगढ़ के 16 थानों में 18 सड़क दुर्घटनाओं के मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान घायल हुए थे। 2022 में भी स्थिति समान रही और फिर 18 मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई। हालांकि, 2023 में इनमें कुछ कमी आई और केवल 11 घटनाएं दर्ज की गईं। लेकिन 2024 में फिर से मामलों में बढ़ोतरी देखी गई, जहां अब तक 13 पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर सामने आ चुकी है।
सब इंस्पेक्टर विजय कुमार की मौत भी ऐसी ही एक घटना का नतीजा थी। 22 दिसंबर 2024 को बुड़ैल पुलिस चौकी में तैनात विजय कुमार अपने साथी के साथ बाइक पर गश्त कर रहे थे। तभी सेक्टर-45 में एक एसयूवी चालक ने अचानक अपनी कार का दरवाजा खोल दिया, जिससे बाइक सवार दोनों पुलिसकर्मी कार से टकरा गए। गंभीर चोटों के चलते एसआई विजय कुमार ने दम तोड़ दिया। यह हादसा पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही को उजागर करता है।
इससे पहले 3 मई 2021 को एएसआई रमेश चंद की भी हिट एंड रन में जान चली गई थी। रमेश चंद सेक्टर-19 थाने में तैनात थे और सेक्टर-20 के सी-डी मोड़ पर नाके पर ड्यूटी कर रहे थे। तभी एक कार चालक ने उन्हें टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गया। रमेश चंद ने 21 दिनों तक पीजीआई में जिंदगी और मौत से लड़ाई लड़ी, लेकिन आखिरकार उनकी जान नहीं बच सकी। लगातार हो रहे इन हादसों से साफ है कि पुलिसकर्मियों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।