चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ के हजारों गरीब परिवारों के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि पुनर्वास योजना के तहत आवंटित स्मॉल फ्लैट्स के निवासियों को मालिकाना हक नहीं दिया जाएगा। लोकसभा में सांसद मनीष तिवारी के सवाल के जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे इन फ्लैट्स के निवासियों को मालिकाना अधिकार मिल सके। वर्षों से इन घरों में बसे गरीब परिवार लगातार सरकार से मांग कर रहे थे कि उन्हें इन फ्लैट्स का स्थायी मालिकाना हक दिया जाए, ताकि वे कानूनी रूप से अपने नाम पर घर रजिस्टर करा सकें।
सरकार के फैसले के खिलाफ बढ़ता विरोध
इस फैसले के बाद चंडीगढ़ प्रशासन और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ सकता है। स्मॉल फ्लैट्स में रहने वाले लोग भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं। बापूधाम सैक्टर-26 रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान कृष्ण लाल का कहना है कि वर्षों से कई गरीब परिवार इन फ्लैट्स में रह रहे हैं, लेकिन अब बेघर होने का डर सताने लगा है। पिछले चुनावों में भाजपा नेताओं ने वादा किया था कि इन फ्लैट्स को मालिकाना हक मिलेगा, लेकिन अब सरकार अपने वादों से पीछे हट रही है।
चंडीगढ़ में पुनर्वास कॉलोनियों का इतिहास
केंद्र सरकार की योजना के तहत चंडीगढ़ में पुनर्वास कॉलोनियों का निर्माण किया गया था। अब तक करीब 17,000 परिवारों को पुनर्वासित किया जा चुका है। 1990 में केंद्रीय मंत्री रहे सांसद हरमोहन धवन ने मौलीजागरां और विकास नगर में 1,600 स्मॉल फ्लैट्स बनवाकर पहली पुनर्वास कॉलोनी की शुरुआत की थी। इसके बाद सैक्टर-38 वेस्ट, रामदरबार, मलोया और धनास में बड़ी संख्या में गरीब परिवारों को पुनर्वासित किया गया। सैक्टर-25, 48 और बापूधाम सैक्टर-26 में भी झुग्गीवासियों को स्थानांतरित कर स्मॉल फ्लैट्स दिए गए थे।
आगे क्या होगा?
सरकार के इस फैसले से हजारों गरीब परिवारों का भविष्य अधर में लटक गया है। लोग अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं और सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार इन गरीब परिवारों की चिंता करेगी या यह मुद्दा आने वाले समय में और बड़ा विवाद बन जाएगा? फिलहाल, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और लोग अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं।