चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: सोमवार रात शिवालिक की पहाड़ियों में हुई भारी बारिश ने चंडीगढ़ की पहचान मानी जाने वाली सुखना लेक की सूरत बिगाड़ दी। झील का जलस्तर तो बढ़ा, लेकिन उसके साथ गाद, लकड़ियां, प्लास्टिक और मलबा बहकर आ गया। मंगलवार सुबह जब लोग मॉर्निंग वॉक के लिए पहुंचे तो झील की स्थिति देखकर हैरान रह गए। चारों ओर तैरती लकड़ियां और गंदा पानी झील की सुंदरता को ढक चुका था।
हालात को देखते हुए नगर निगम की टीम ने सुबह से ही सफाई अभियान शुरू कर दिया, लेकिन दोपहर तक भी बोटिंग सेवा केवल आंशिक रूप से शुरू हो पाई। बोटिंग स्टाफ का कहना है कि इस बार पहले से कहीं ज़्यादा गंदगी झील में घुसी है, जिससे नौका संचालन जोखिम भरा हो गया था। कई बड़े-बड़े पेड़ की शाखाएं और मलबा अभी भी किनारों पर जमा है।
मौके पर पहुंचे पर्यटक और स्थानीय नागरिकों ने चिंता जताई कि झील का रख-रखाव ठीक से नहीं हो रहा। वरिष्ठ फोटो एडिटर स्वदेश तलवार ने बताया कि गाद और कचरा केवल झील की सुंदरता नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी के लिए भी खतरा है। जलजीवों को सांस लेने में दिक्कत होती है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। उन्होंने कैचमेंट एरिया में चेक डैम बनाने और आक्रामक पौधों को हटाने की बात कही।
तलवार ने प्रशासन पर भी सवाल उठाए कि चंडीगढ़ के बाहर से आए अधिकारी स्थानीय समस्याओं से नहीं जुड़ते। उन्होंने 1980 के दशक की वह घटना भी याद की जब झील सूख गई थी और जनभागीदारी से उसे दोबारा जीवित किया गया। उन्होंने अपील की कि आज फिर वैसी ही जिम्मेदारी और स्थानीय जुड़ाव की जरूरत है ताकि सुखना लेक को केवल पर्यटन स्थल नहीं, एक पारिस्थितिक धरोहर की तरह बचाया जा सके।