चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ की बुडैल जेल में अब बंद कैदी भी आईटीआई की पढ़ाई कर सकेंगे। जेल में ही दो साल का इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग कोर्स शुरू किया गया है, जिससे कैदियों को शिक्षा के साथ-साथ हुनर भी मिल सके। इस योजना की शुरुआत आईजी जेल पुष्पेंद्र कुमार ने की है। इसके तहत जेल परिसर में "जीवन धारा इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट" खोला गया है, जिसकी कमान जेल डीएसपी प्रमोद खत्री को दी गई है।
फिलहाल यहां दो कोर्स – कारपेंट्री और सिलाई की शुरुआत की गई है। महिला कैदी सिलाई का कोर्स कर सकेंगी, जबकि पुरुष दोनों में से किसी भी कोर्स में हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए जेल में क्लासरूम तैयार किए गए हैं, जहां नियमित रूप से पढ़ाई करवाई जाएगी। कोर्स पूरा होने पर मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे, जो कैदियों को रिहाई के बाद रोजगार दिलाने में मदद करेगा।
बुडैल जेल देश की उन चुनिंदा जेलों में है, जहां सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे कैदी हैं। पिछले पांच वर्षों में करीब 300 कैदी इग्नू से अलग-अलग डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स कर चुके हैं। इनमें बीए, एमकॉम, एमएड, फूड एंड न्यूट्रिशन, सीएचआर और सीबीएस जैसे कोर्स शामिल हैं। 2006 से जेल में इग्नू के जरिए पढ़ाई की सुविधा दी जा रही है।
हर साल औसतन 60 कैदी इस सुविधा का लाभ उठाते हैं, जिनमें से करीब 30 ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करते हैं। जेल प्रशासन की मंशा है कि कैदियों को शिक्षा और हुनर के जरिए समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। जेल अधिकारी का कहना है कि यदि किसी कैदी की जमानत हो जाती है, तो वह परीक्षा के लिए फिर से जेल में आ सकता है। यह योजना जेल में सुधारात्मक दृष्टिकोण को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।